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कैंसर का इलाज
नोट :-
* रोगी को नींद खूब निकालने दें ।
* पेट दुखने, बुखार आने नींद नहीं आने जैसे लक्ष्णों के लिए अन्य उपचार करने से इस इलाज में कोई फर्क नहीं पड़ता है यानि एलोपेथी की दवाई इसके साथ दे सकते हैं ।
* रोगी को अन्न नहीं खिलायें।
अन्न के स्थान पर मूंग, सिंगाड़े का आटा , साबूदाना , मालकांगणी, सावा, मलिचा आदि की रोटी बनाकर खिलाएँ ।
जूस, दूध, फल, हरि सब्जियाँ सूखे मेवे खूब खिलायें । अचार,तेजमसाले,बिड़ी,शराब,
सिगरेट, तम्बाकू का सेवन बिल्कुल बन्द कर दें।
काढ़ा बनाने और लेने का तरीका

“अलसी एक अमृतमयी चमत्कारी औषधी :”
विभिन्न प्रकार की बिमारियों में अलसी का काढ़ा पिएँ ।
101℅ बिना-चिरफाड़ यानी ऑप्रेशन के बिल्कुल स्वस्थ हो जाएँगे।
कैसे बनायें काढा :
2 चमच अलसी + 2 ग्लास पानी मिक्स करके उबालें। जब अाधा पानी बचे तब सुबह खाली पेट छानकर पियें।
विविध नाम :
1.अलसी
2. फ्लेक्स सीड्स
3. लिन सिड्स
अलसी से आप सभी परिचित होंगे लेकिन इसके चमत्कारी फायदे से बहुत ही कम लोग जानते हैं।
हम आज अलसी के फायदे के बारे में जो बता रहें हैं उनके बारे में जानकर और अपनाकर आप जरुर रोग मुक्त हो जायेगें।
अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है।
अलसी में
23℅ ओमेगा-3 फेटी एसिड
20℅ प्रोटीन,
27℅ फाइबर, लिगनेन,
विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम,
पोटेशियम, मेगनीशियम,
जिंक आदि होते हैं।
अलसी में रेशे भरपूर 27% ?शर्करा 1.8% यानी नगण्य
होती है। इसलिए यह
शून्य-शर्करा आहार कहलाती
है और मधुमेह रोगियों के
लिए आदर्श आहार है।
इससे होनेवाले लाभ
1. ब्लड शुगर :
अगर किसीको ब्लड शुगर, (डायाबिटिज) की तकलीफ है तो आपके लिये अलसी किसी वरदान से कम नहीं है।
2. थाईराईड :
सुबह खाली पेट २ चमच अलसी लेकर २ ग्लास पानी में उबालें, जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें।
यह दोनों प्रकार के थाईराईड में बढ़िया काम करती है।
3. हार्ट ब्लोकेज :
३ महिना अलसी का काढ़ा उपर बताई गई विधि के अनुसार करने से आपको ऐन्जियोप्लास्टि कराने की जरुरत नहीं पड़ती।
4. लकवा, पैरालिसीस :
पैरालिसीस होने पर ऊपर बताई गई विधि से काढ़ा पीने से लकवा ठीक हो जाता है।
5. बालों का गिरना :
अलसी को आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से बाल गिरने बंद हो जाते हैं।
6. जोडों का दर्द :
अलसी का काढ़ा पीने से जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है। साईटिका, नस का दबना वगैरा में लाभकारी।
7. अतिरिक्त वजन :
अलसी का काढ़ा पीने से शरीर का अतिरिक्त वजन दूर होता है। नित़्य इसका सेवन करें, निरोगी रहें।
8. केन्सर :
किसी भी प्रकार के केन्सर में अलसी का काढ़ा सुबह-शाम दो बार पिऐं जिससे असाधारण लाभ निश्चीत है।
9. पेट की समस्या :
जिन लोगों को बार-बार पेट के जुड़े रोग होते हैं उनके लिये अलसी रामबाण ईलाज है। अलसी कब्ज, पेट का दर्द आदि में फायदाकारक है।
10. बालों का सफेद होना :
एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि उसने मेरे बताने के अनुसार तीन महिने अलसी का काढा पीया तो उसके सफेद बाल भी धीरे-धीरे काले होने लगे।
11. सुस्ति, आलस, कमजोरी:
अलसी का काढा पीने से सुस्ती, थकान, कमजोरी दूर होती है।
12. किसी भी प्रकार की गांठ :
सुबह शाम दो समय अलसी का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की गांठ ठीक हो जाती है।
13. श्वास-दमा कफ, ऐलर्जीँ :
अलसी का काढ़ा रोज सुबह शाम २ बार लेने से श्वास, दमा, कफ, ऐलर्जीँ के रोग ठीक हो जाते हैं।
14. ह्दय की कमजोरी :
ह्दय से जुड़ी किसी भी समस़्या में अलसी का काढ़ा रामबाण ईलाज है।
जिन लोगों को ऊपर बताई गई समस़्या में से एक भी तकलीफ है तो आपके पास इसका रामबाण इलाज के रुप में अलसी का काढा है। कृपया आप इसका सेवन करें आैर स्वस्थ रहें।

आयुर्वेद के अनुसार देसी गाय का “गौ मूत्र” एक संजीवनी है।
गौ-मूत्र एक अमृत के सामान है जो दीर्घ जीवन प्रदान करता है, पुनर्जीवन देता है, रोगों को भगा देता है, रोग प्रतिकारक शक्ति एवं शरीर की मांस-पेशियों को मज़बूत करता है।
आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर में तीनों दोषों का संतुलन भी बनाता है और कीटनाशक की तरह भी काम करता है।
गौ-मूत्र का कहाँ-कहाँ प्रयोग किया जा सकता है। Uses of Gomutra संसाधित किया हुआ गौ मूत्र अधिक प्रभावकारी प्रतिजैविक, रोगाणु रोधक (antiseptic), ज्वरनाशी (antipyretic), कवकरोधी (antifungal) और प्रतिजीवाणु (antibacterial) बन जाता है।ये एक जैविक टोनिक के सामान है। यह शरीर-प्रणाली में औषधि के सामान काम करता है और अन्य औषधि की क्षमताओं को भी बढ़ाता है। ये अन्य औषधियों के साथ उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी ग्रहण किया जा सकता है।
गौ-मूत्र कैंसर के उपचार के लिए भी एक बहुत अच्छी औषधि है। यह शरीर में सेल डिवीज़न इन्हिबिटोरी एक्टिविटी को बढ़ाता है और कैंसर के मरीज़ों के लिए बहुत लाभदायक है। आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार गौ-मूत्र विभिन्न जड़ी-बूटियों से परिपूर्ण है। यह आयुर्वेदिक औषधि गुर्दे, श्वसन और ह्रदय सम्बन्धी रोग, संक्रामक रोग (infections) और संधिशोथ (Arthritis), इत्यादि कई व्याधियों से मुक्ति दिलाता है। गौ-मूत्र के लाभों को विस्तार से जाने। Benefits of Gomutra (Desi cow urine)
देसी गाय के गौ मूत्र में कई उपयोगी तत्व पाए गए हैं, इसीलिए गौमूत्र के कई सारे फायदे है। गौमूत्र अर्क (गौमूत्र चिकित्सा) इन उपयोगी तत्वों के कारण इतनी प्रसिद्ध है। देसी गाय गौ मूत्र में जो मुख्य तत्व है उनमें से कुछ का विवरण जानिए।
1. यूरिया (Urea)
यूरिया मूत्र में पाया जाने वाला प्रधान तत्व है और प्रोटीन रस-प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद है। ये शक्तिशाली प्रति जीवाणु कर्मक है।
2.यूरिक एसिड(Uric acid)
ये यूरिया जैसा ही है और इस में शक्तिशाली प्रति जीवाणु गुण हैं। इस के अतिरिक्त ये केंसर कर्ता तत्वों का नियंत्रण करने में मदद करते हैं।
3. खनिज (Minerals)
खाद्य पदार्थों से व्युत्पद धातु की तुलना मूत्र से धातु बड़ी सरलता से पुनः अवशोषित किये जा सकते हैं। संभवतः मूत्र में खाद्य पदार्थों से व्युत्पद अधिक विभिन्न प्रकार की धातुएं उपस्थित हैं। यदि उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो मूत्र पंकिल हो जाता है। यह इसलिये है क्योंकि जो एंजाइम मूत्र में होता है वह घुल कर अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है, फिर मूत्र का स्वरुप काफी क्षार में होने के कारण उसमे बड़े खनिज घुलते नहीं है। इसलिये बासा मूत्र पंकिल जैसा दिखाई देता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि मूत्र नष्ट हो गया। मूत्र जिसमें अमोनिकल विकार अधिक हो जब त्वचा पर लगाया जाये तो उसे सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. उरोकिनेज(Urokinase)
यह जमे हुये रक्त को घोल देता है,ह्रदय विकार में सहायक है और रक्त संचालन में सुधार करता है।
5. एपिथिल्यम विकास तत्व (Epithelium growth factor)
क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतक में यह सुधर लाता है और उन्हें पुनर्जिवित करता है।
6. समूह प्रेरित तत्व(Colony stimulating factor)
यह कोशिकाओं के विभाजन और उनके गुणन में प्रभावकारी होता है।
7. हार्मोन विकास (Growth Hormone)
यह विप्रभाव भिन्न जैवकृत्य जैसे प्रोटीन उत्पादन में बढ़ावा, उपास्थि विकास,वसा का घटक होना।
8. एरीथ्रोपोटिन (Erythropotein)
रक्ताणु कोशिकाओं के उत्पादन में बढ़ावा।
9. गोनाडोट्रोपिन (Gonadotropins)
मासिक धर्म के चक्र को सामान्य करने में बढ़ावा और शुक्राणु उत्पादन।
10. काल्लीकरीन (Kallikrin)
काल्लीडीन को निकलना, बाह्य नसों में फैलाव रक्तचाप में कमी।
11. ट्रिप्सिन निरोधक (Tripsin inhibitor)
मांसपेशियों के अर्बुद की रोकथाम और उसे स्वस्थ करना।
12. अलानटोइन (Allantoin)
घाव और अर्बुद को स्वस्थ करना
13. कर्क रोग विरोधी तत्व (Anti cancer substance):
निओप्लासटन विरोधी, एच -११ आयोडोल – एसेटिक अम्ल, डीरेकटिन, ३ मेथोक्सी इत्यादि किमोथेरेपीक औषधियों से अलग होते हैं जो सभी प्रकार के कोशिकाओं को हानि और नष्ट करते हैं। यह कर्क रोग के कोशिकाओं के गुणन को प्रभावकारी रूप से रोकता है और उन्हें सामान्य बना देता है।
14. नाइट्रोजन (Nitrogen)
यह मूत्रवर्धक होता है और गुर्दे को स्वाभाविक रूप से उत्तेजित करता है।
15. सल्फर (Sulphur)
यह आंत कि गति को बढाता है और रक्त को शुद्ध करता है।
16. अमोनिया(Ammonia)
यह शरीर की कोशिकाओं और रक्त को सुस्वस्थ रखता है।
17. तांबा (Copper)
यह अत्यधिक वसा को जमने में रोकधाम करता है।
18. लोहा (Iron)
यह आरबीसी संख्या को बरकरार रखता है और ताकत को स्थिर करता है।
19. फोस्फेट (Phosphate)
इसका लिथोट्रिपटिक कृत्य होता है।
20. सोडियम (Sodium)
यह रक्त को शुद्ध करता है और अत्यधिक अम्ल के बनने में रोकथाम करता है।
21. पोटाशियम (Potassium)
यह भूख बढाता है और मांसपेशियों में खिझाव को दूर करता है।
22.मैंगनीज(Manganese)
यह जीवाणु विरोधी होता है और गैस और गैंगरीन में रहत देता है।
23. कार्बोलिक अम्ल (Carbolic acid)
यह जीवाणु विरोधी होता है।
24. कैल्सियम (Calcium)
यह रक्त को शुद्ध करता है और हड्डियों को पोषण देता है , रक्त के जमाव में सहायक होता है।
25. नमक (Salts)
यह जीवाणु विरोधी है और कोमा केटोएसीडोसिस की रोकथाम।
26. विटामिन ए बी सी डी और ई (Vitamin A, B, C, D & E)
अत्यधिक प्यास की रोकथाम और शक्ति और ताकत प्रदान करता है।
27. लेक्टोस शुगर (Lactose Sugar)
ह्रदय को मजबूत करना, अत्यधिक प्यास और चक्कर की रोकथाम।
28. एंजाइम्स (Enzymes)
प्रतिरक्षा में सुधार, पाचक रसों के स्रावन में बढ़ावा।
29. पानी (Water)
शरीर के तापमान को नियंत्रित करना और रक्त के द्रव को बरक़रार रखना।
30. हिप्पुरिक अम्ल (Hippuric acid)
यह मूत्र के द्वारा दूषित पदार्थो का निष्कासन करता है।
31. क्रीयटीनीन (Creatinine)
जीवाणु विरोधी है।
32.स्वमाक्षर (Swama Kshar)
जीवाणु विरोधी, प्रतिरक्षा में सुधार, विषहर के जैसा कृत्य।

आयुर्वेदिक कीमो की विधि
- 500gm श्याम तुलसी (जड़,तना,बीज, पत्तियां सब)
- 500gm सदाबहार गुलाबी लाल फूलों वाली (जड़,तना,बीज, पत्तियां सब)
- 500gm गांठ वाली सूखी हल्दी
उक्त तीनों औषधियों को अच्छी तरह बिल्कुल बारीक कूटकर सूखाकर पीस लें, और आयुर्वेदिक भाषा में जिसे कपड़छान कहते हैं करके अच्छी तरह छान लें।
ये आपके पास आयुर्वेदिक कीमो का औषधि रूप(डेढ़ किलो के आसपास ) तैयार हो जाएगा।
फिर मरीज (किसी भी कैंसर से पीड़ित हो रक्त, मांस,अस्थि) को प्रात:काल गौमूत्र देने से भी पहले 2 चम्मच इस छाने हुए पाउडर को बिल्कुल शीतल सादा गौमूत्र (बिना गर्म किया हुआ)30ml, उसमें 60ml पानी में मिलाकर पिला देना है और इसके आधा घंटा बाद तक कुछ भी नहीं खिलाना पिलाना है।
तदुपरांत दोपहर को यही 2चम्मच औषधि पाउडर को 2चम्मच शहद, 80ml बिल्कुल सादे पानी में मिलाकर पिला देनी है।
बाद में रात्रि को गौमूत्र सेवन के पश्चात जब रोगी सोने वाला हो तब 2चम्मच शहद, 80ml सादा पानी में 2चम्मच वहीं औषधि पाउडर मिलाकर पिला दे।
फ्रीज़ किए गए नीबू के आश्चर्यजनक परिणाम
नींबू का छिलका कैंसर का नाश करता है
नीबू को स्वच्छ धोकर फ्रीजर में रखिए।
8 से 10 घंटे बाद वह बरफ जैसा ठंडा तथा कड़ा हो जाएगा।
उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें।
आप जो भी खाएँ उसपर डाल के इसे खा सकते हैं।
इससे खाद्यपदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आएगा।
नीबू के रस में विटामिन सी होता है।
ये आप जानते हैं।
आइये देखें इसके और क्या क्या फायदे हैं।
नीबू के छिलके में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन सी होता है और वही हम फेंक देते हैं।
नीबू के छिलके में शरीर के सभी विषद्रव्य को बाहर निकालने कि क्षमता होती है।
निंबु का छिलका कैंसर का नाश करता है।
यह छिलका कैमोथेरेपी से 10000 गुना ज्यादा प्रभावी है।
यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है।
निंबु का रस विशेषत: छिलका रक्तदाब तथा मानसिक दबाव नियंत्रीत करता है।
नीबू का छिलका 12 से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है और वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।
इसलिए आप से प्रार्थना है कि आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नीबू फ्रीज में रखे और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग करें।
मुंह का कैंसर कभी नहीं होगा।
हम बहुत अत्याचारी हैं। अपने मुँह साथ हम कितने कुकर्म करते हैं। कितना गर्म खा लेते हैं की मुंह जल जाता है। कितना ठंडा खा लेते हैं की मसूड़े काँप जाते हैं। कितना खट्टा, तीता, नमकीन, मीठा। नतीजतन बेचारे दांतों और जीभ की दुर्गति हो जाती है। फिर आज कल के पानमसालों का तो कहना ही क्या।कैंसर को खुला आमंत्रण !!!!! यही नहीं इसी मुंह से कुछ भी बोल देते हैं। भली बातों का प्रतिशत शायद कम ही होता होगा। बुरी बातें ज्यादा ही बोलते हैं। जबकि शब्द को ब्रह्म कहा गया है। जिसका सीधा सम्बन्ध मुंह और आत्मा से होता है। अगर अब भी आपको अपनी गलती का एहसास हो गया हो तो आइये इस मुंह के लिए कुछ अच्छा काम किया जाए ।
उपाय
कम से कम 5 चम्मच सरसों का तेल मुंह में भर लीजिये और उसे दांतों से खूब चबाइएँ। यूं जैसे कि कोई बहुत कठोर चीज चबा रहे हों। ५ मिनट तक चबाने के बाद थूक दीजिये और साफ़ पानी से कुल्ला कर लीजिये। इस तेल को निगलना नहीं है। चबाने की प्रक्रिया के दौरान ये आपके शरीर के जहरीले तत्वों को खींच लेता है। और शरीर को निम्नलिखित फायदे पहुंचाता है ।
पान मसाला खा कर आपने जितने मसूड़े खराब किये हैं वो सही हो जाएंगे।
पायरिया ख़त्म हो जाएगा।
दांत मजबूत होंगे और बुढ़ापे में गिरने की संभावना ८०% ख़त्म हो जायेगी।
लीवर सही रहेगा।
जीभ में छाले नहीं पड़ेंगे।
टांसिल की शिकायत ख़त्म।
चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ेंगी।
छः रसों का स्वाद जीभ को महसूस होता रहेगा। अर्थात भोजन का असली आनंद महसूस होगा।
कम सुनने की शिकायत दूर होगी।
आँखों की रोशनी बेहतर रहेगी।
इतने सारे फायदे सिर्फ एक काम से -कि प्रतिदिन सवेरे सरसों का तेल मुंह में भरकर 5 मिनट तक खूब चबाएं।
रक्त शोधन काढ़ा
कैंसर के बारे में निम्न पोस्ट ध्यान से पढ़े
अस्वीकरण:
जिन कैन्सर रोगियों का इलाज नवग्रह आश्रम से चल रहा है उनसे और उनके परिवार जन से निवेदन
आप में से जिन का भी इलाज श्री नवग्रह आश्रम से चल रहा है ये आपका स्वयं का निर्णय है जो आपने आयुर्वेद में विश्वास दिखाया है और इसके लिए हम आपके आभारी भी हैं परंतु काफी बार आपके जो शब्द होते हैं कि, हमारा इलाज नवग्रह आश्रम से चल रहा है लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ रहा, मुझे दर्द हो रहा है या ऐसे कई शब्द हैं जो आप अक्सर कहते हैं।
श्री नवग्रह आश्रम अपनी पूरी कोशिश करता है दिन रात शोध कार्य करता रहता है ताकि कैंसर रोगियों को जितना हो सके उतना जल्दी राहत मिल सके परंतु जिन लोगों को दर्द में राहत नहीं मिलती उसके लिए भी आप सभी को दर्द में राहत के लिए आपको दर्द की पर्ची और दर्द की दवा बताई गई है।
आपको सभी दवाइयाँ पूरे परहेज के साथ में लेना है कैंसर रोग ही दर्द का रोग होता है और जो घाव है उनको भरने के लिए अथवा गांठ को ठीक करने के लिए सारा तरीका क्लास में अच्छी तरह से समझाया जाता है। परन्तु जब आप आश्रम पर आते हैं तब आपको आने से ज्यादा जाने की जल्दी रहती है आप काफी दूर दूर से लंबा सफर करके आश्रम पर आते हैं तो हम भी चाहते हैं कि आप संपूर्ण जानकारी लेकर के जाएं ताकि आपको औषधियाँ लेने में किसी प्रकार की समस्या ना हो और साथ ही सभी प्रकार के परहेज आप अच्छे तरीके से समझ जाएँ क्योंकि दवाइयों से ज्यादा उनको देने का तरीका और परहेज ज्यादा आवश्यक है और सबसे जरूरी बात ये कि, कैंसर रोग में जो भी औषधियां दी जाती है वो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हुई है और इनका तरीका भी यही है। जिस प्रकार हमारे शरीर में 3 माह के अंदर रक्त बदल जाता है इसी कारण 3 माह के अंदर ब्लड कैंसर के रोगियों को सबसे पहले आराम मिलना शुरू हो जाता है परंतु जिनको मांस में कैंसर है उनको अधिक समय लगता है आप को उस समय की जो तय सीमा है तब तक इंतजार करना जरूरी है।
श्री नवग्रह आश्रम आपको औषधियाँ देता है जो आपको सही तरीके से लेनी हैं और ठीक होना है उसके लिए आपको पूरा संयम व सहयोग हमें देना है। आप सभी बार-बार ऐसे सवाल पूछते हैं जिनको की 2 घंटे की कैंसर क्लास में बार-बार बताया जाता है अत: आपसे निवेदन है, जिनको भी कोई चीज़ समझ में नहीं आती उसके लिए सबसे पहले जो कैंसर का पर्चा आपको दिया गया है इसको आगे और पीछे दोनों तरफ से अच्छी तरह से पढ़ ले फिर भी अगर नहीं समझ में आए तो ही सवाल पूछा करें।
श्री नवग्रह आश्रम द्वारा कैंसर रोग के उपचार ले रहे रोगियों को सामान्यतः निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
1. उल्टी
कैंसर रोगियों को दिए जाने वाली औषधियों में सबसे प्रमुख गौमूत्र होता है काफी रोगियों को गोमूत्र यदि ताजा नहीं है तो उसकी अम्लीय मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण रोगी को एसिडिटी, उल्टी ,बेचेनी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं।
इसके लिए जितना हो सके ताजा गोमूत्र की व्यवस्था करना उचित रहता है और साथ ही साथ यदि अधिक गर्मी है और आपके पास गोमूत्र ताजा नहीं है तो गोमूत्र की मात्रा कम कर के उसमें समान मात्रा में पानी मिलाकर रोगी को देने पर गो मूत्र कि अम्लीयता कम हो जाएगी और रोगी को पीने में आसानी होगी।
फिर भी यदि रोगी व्यक्ति को उल्टी अधिक होती है तो उसके लिए आप ये उपाय कर सकते हैं
हरे पुदीने की पांच पत्तीया, हरी तुलसी की पांच पत्तीया अथवा श्याम तुलसी के पांच पत्ते, निंबू के रस की 5 बूंदे, एक लौंग सभी को बांटकर ठंडे पानी के साथ अथवा शहद के साथ रोगी व्यक्ति को दो-दो घंटे के अंतराल में पिलाएं
लेमन ग्रास (ग्रीन- टी) व अदरक के रस की पांच-पांच ग्राम रस को मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं
2. दस्त
यह भी कैंसर रोगी को होने वाली एक सामान्य समस्या है जिसका कारण आयुर्वेदिक औषधियों से शरीर की गंदगी बाहर निकलने के लिए सामान्यतः दस्त होते हैं परंतु गर्मी के कारण या अन्य कारणों के कारण भी अधिक दस्त हो जाते हैं जिससे रोगी परेशान हो जाता है उसके लिए भी आप भी कुछ उपाय कर सकते हैं
अदरक का रस 5 ग्राम एक कप गर्म पानी में घोलकर एक-एक घंटे के अंतराल में दिन में तीन बार पिलाइए।
100 ग्राम सौंफ़ + 100 ग्राम धनिया दोनों को लेकर आधी-आधी मात्रा तवे या कढ़ाई पर सेक ले, सिकी हुई सौंफ व धनिया और बिना सिका हुआ धनिया और सौंफ़ दोनों को बारीक कूट कर छान लें और आपस में मिला लें( यानी सेकी और बिना सेंकी) दोनो 5 ग्राम दवा (एक चाय का चम्मच) ठंडे पानी के साथ दो-दो घंटे के अंतराल से पिलाये, तीन से चार बार पिलाते ही दस्त बंद हो जाते हैं।
नोट:- अगर कब्जी होती हो तो यही दवा गर्म पानी में पिलाने से दस्त लगना शुरू हो जाते हैं।
जिन कैंसर रोगियों को गले के भीतरी और बाहरी भाग में गांठ है और किसी भी चीज़ को निगलने में परेशानी हो रही है तो आप उनके लिए प्राकृतिक चिकित्सा का एक उपाय कर सकते है:-
जिसके लिए आपको 3 से 4 लीटर पानी किसी पात्र में लेकर के उसमें डेढ़ सौ से 200 ग्राम नीम की पत्तियां 4 से 5 चम्मच काला व सेंधा नमक डालकर 4:00 से 5:00 मिनट तक उबालना है उबालने के बाद में उस पात्र को नीचे उतार कर 4 से 5 मीटर लंबा सूती कपड़ा अथवा सूती तोलिया गरम पानी में भिगोकर निचोड़ना है और उसके पश्चात हल्के हाथ से गले के चारों तरफ लपेटना है इस प्रकार सवेरे और शाम आधे से एक घंटा सेक करने से गले के अंदरूनी भाग में यदि कफ या बलगम जमा होगा तो वह पिघलना शुरू हो जाएगा और जो गांठे गले के अंदरूनी भाग में या बाहर की ओर है उनकी मांस पेशियों भी शिथिल होने शुरू हो जाएगी और समय से पूर्व परिपक्व होने होने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी जिससे कैंसर रोगी गांठे आसानी से कम होना शुरू हो जायेगा और गले की समस्या है उनको काफी राहत मिलेगी।
जिन कैंसर रोगियों को मुंह में कैंसर है जीभ का कैंसर है तलवे का कैंसर है दाढ़ का कैंसर है:
उन सभी को एक काम करना है आपको गौ मूत्र के अंदर नीम की पत्तियां उबालकर कैंसर रोगियों मुंह में जितना देर रख सकता है रखें और उसके बाद थूक दे ऐसा दिन में दो से तीन बार अवश्य करें और उसके अलावा दिन भर में कम से कम पांच से छह बार आपको कुल्ला करना है और इस को बढ़ाते बढ़ाते 10 बार तक ले जाना है जितना अधिक कुल्ला करेंगे उतना अधिक आपको फायदा होगा और गोमूत्र को मुंह में रखने से जिसमें नीम मिला हो आपको मुंह में लार आना या थूक आना चिपचिपा मवाद आना ऐसी कई समस्याओं से राहत मिलेगी सूजन कम होगी घावों को जल्दी भरने का काम करेगी
जिन लोगों के खून में अधिकतर वेरिएशन रहता है हीमोग्लोबिन प्लेटलेट्स कम ज्यादा होते रहते हैं उनके लिए आपको यह जूस बनाकर देना चाहिए यह बहुत फायदेमंद रहता है
1.गिलोय के 5 पत्ते
2.गूलर के 5 पत्ते
3.पीपल के 5 पत्ते
4.पपीते का आधा पत्ता
5. गुड़हल के फूल 6
इन सभी को ग्राइंडर में अच्छे से पीस करके जूस बनाकर के रोगी को देने से रक्त के उतार-चढ़ाव में बहुत लाभ मिलता है
अधिक खून कम होने पर गुड़हल के ताजा फूलों की मात्रा बढ़ा सकते है
जिन कैन्सर या अन्य रोगियों को बहुत अधिक *खांसी का प्रकोप होऔर थोड़ा बहुत बलगम भी निकल रहा हो उन्हें
हल्दी 5 ग्राम
काली मिर्च 3 ग्राम
एक लौंग
तुलसी के 20 पत्ते
सोठ एक चम्मच यानी 5 ग्राम
इन सभी को आधा लीटर पानी में डालकर तब तक उबालें जब कि यह कांढा बनकर सौ ग्राम रह जाए इसे छानकर गुनगुना गुनगुना रोगी को रात्री भोजन के 2 घंटे पश्चात पिलाएँ।
बाकी आयुर्वेद की दृष्टि से कफ खांसी की औषधि जो आश्रम द्वारा निर्मित है शनिवार या रविवार को आश्रम से प्राप्त कर सकते हैं।
तपन(शरीर में गर्मी)
वैद्ध्य श्री हंसराज जी चौधरी
नवग्रह आश्रम, मोतीबोर का खेड़ा, रायला जिला भीलवाड़ा
गर्मी के मौसम में अधिकतर रोगियों को औषधियों के कारण शरीर में गर्मी महसूस होती है जिससे हाथों में पांव में जलन होना, सीने में जलन, एसिडिटी ,यूरिक एसिड का बढ़ जाना ,बुखार आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसके लिए आप यह उपाय कर सकते हैं:-
आपको दूर्वा जिसे सामान्य भाषा में दूब भी कहते हैं सामान्यतया पार्क यह पाई जाती है।
25 ग्राम जड़ तथा
25 ग्राम पत्तियां
2 से 3 इलाइची
सभी को मिलाकर बांट लें और इसका रस निकालने और उसमें स्वाद अनुसार शहद या मिश्री मिलाकर प्रातः भूखे पेट देना प्रारंभ करें इस प्रयोग से बहुत जल्दी राहत मिलेगी
यह प्रयोग रक्त प्रदर की समस्या से ग्रसित महिलाओं बहनों के लिए भी काफी कारगर है ।
नोट-यह प्रयोग केवल प्रात: ही करना है। रात्रि में करने पर सर्दी भी हो सकती है वह यह प्रयोग केवल 3 से 4 दिन तक ही करना है।
अस्वीकरण
मैं अपने किसी भी हेल्थ मेसेज का 100% सही होने का दावा नहीं करता । इस टिप्स से काफी लोगों को फायदा हुआ है। कृपया आप किसी भी हेल्थ टिप्स का अपने ऊपर प्रयोग करने से पूर्व अपने वैद्यराज जी से राय लेवें ।
राजीव जैन
ट्रस्टी, नवग्रह आश्रम, भीलवाड़ा
राजस्थान
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अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी