पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% Absorber (सोखनेवाला) है, बरगद 80% और नीम 75%
इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया था, जो जमीन को जल विहीन कर देता है…
आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है।
अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नहीं रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही।
हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान दिखेगा।
पीपल के पत्ते का फलक और डंठल अधिक पतला होता है, जिसकी वजह से शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते है और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते है।
वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए :-
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।
इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगायें तथा यूकेलिप्टस पर बैन लगाया जाय।
आइये हम सब मिलकर अपने “हिंदुस्तान” को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएँ |