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सहजन (Moringa) से हड्डियां होती हैं मजबूत और कई बीमारियों का इलाज
सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है , जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसके अलावा इसमें आइरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है, इससे डिलवरी में होने वाली समस्याओं से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है, गर्भवती महिला को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में आसानी होती है।
सहजन में विटामिन-ए होता है , जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिए प्रयोग किया जाता आ रहा है।
इसकी हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है।
यदि आप चाहें तो सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं इससे शरीर का खून साफ होता है।
- कुछ अन्य उपयोग:
- सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में और पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।
- सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका ,गठिया,,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है।
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है।
- साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
- सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
- सहजन को 80 प्रकार के दर्द व 72 प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
- सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है।
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
- सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
- सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
- सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
- सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
- सहजन की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
- सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
- सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
- सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
- सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घिसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है।
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
- सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया जाता आ रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
- सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं भी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
- सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।
- सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है। मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।
वैद्ध्य श्री हंसराज जी चौधरी
नवग्रह आश्रम,
मोतीबोर का खेड़ा, रायला, भीलवाड़ा
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