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मिर्गी (Epilepsy) का उपचार:
- लक्षण:
रोगी का चलते-चलते गिर जना, गले में से खरखराहट की ध्वनि के साथ मुंह से झाग निकलना, हाथ पैरों का ऐंठनां एवं बाहर की तरफ मुठियाँ भींजते हुए लगातार झटके आना वह कुछ समय बाद रोगी का सामान्य स्थिति में आ जाना।
- कारण:
यह रोग वंशानुगत होने के साथ-साथ प्रारब्ध जनित रोग है।
- उपचार:
- ब्राह्मी, शंखपुष्पी, श्याम तुलसी, नीम गिलोय, छोटी हरड़, सभी को समान रूप में लेकर कूट पीटकर छानकर रोगी को प्रातः काल एक चम्मच औषधि के को चार चम्मच शहद में मिलाकर भूखे पेट घटाएं।
- कब्ज ना होने दें।
- रोगी को तेज गंध वाली साबुन, अगरबत्ती, सेंट आदि से बचाएं।
- रोगी तंग कपड़े ना पहने। रोगी आग से दूर रहे, जलन से दूर रहे, ऊंचाई पर ना चढ़े, तेज गति आदि से बचें।
नवग्रह आश्रम
वैद्य श्री हंसराज चौधरी
मोतीबोर का खेड़ा, रायला,भीलवाड़ा राजस्थान
द्वारा अनुमोदित
अस्वीकरण
मैं अपने किसी भी हेल्थ मेसेज का 100% सही होने का दावा नहीं करता । इस टिप्स से काफी लोगों को फायदा हुआ है। कृपया आप किसी भी हेल्थ टिप्स का अपने ऊपर प्रयोग करने से पूर्व अपने वैद्यराज जी से राय लेवें ।
राजीव जैन
अध्यक्ष
बाल सेवा समिति, भीलवाड़ा
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