कोमल त्वचा, घाव, आफरा, प्रदर और रक्त विकार में मैथीदाना का प्रयोग
- कोमल त्वचा पाने के लिए
- मैथी के पत्तों के रस में नींबू का रस मिलाकर शरीर पर मलने से त्वचा में निखार आता है और त्वचा कोमल होती है।
- मैथी के बीज को उबटन (लेप) के रूप में चेहरे पर लगाने से त्वचा साफ और कोमल हो जाती है।
- घाव के लिए
- मैथी के दानों या पत्तों को बारीक पीसकर लेप करने से जख्म की जलन तथा सूजन मिटती है।
- मैथी को पीसकर फोड़े के घाव पर लगाने से रोगी का घाव ठीक हो जाता है।
- आधा ग्राम से 10 ग्राम मैथी को सुबह-शाम खाने से घाव की वजह से होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
- आफरा के लिए
250 ग्राम मैथी और 250 ग्राम सोया को लेकर तवे पर सेंक लें, फिर इसे मोटा-मोटा कूटकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से, लार की अधिकता, आफरा (पेट में गैस का बनना), खट्टी हिचकियां और डकारे आने का रोग मिट जाता है।
- प्रदर के लिए
- लगभग 3 ग्राम मैथी का चूर्ण थोड़े गुड़ और घी में मिलाकर सुबह-शाम के समय चबाकर खाने से और मैथी के आटे की पोटली बनाकर स्त्रियों की योनि में रखने से प्रदर रोग में अच्छा लाभ होता है, इस पोटली के साथ एक लंबा धागा बांधकर रखे जो योनि से बाहर लटकता रहे, ताकि पोटली को सरलतापूर्वक योनि से बाहर निकाला जा सके।
- मैथी का चूर्ण बनाकर उसमें थोडे़ सी मात्रा में घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
- मैथी बीज को पीसकर गर्भाशय के मुंह पर रखने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
- रक्तविकार के लिए
मैथी का 150 मिलीलीटर रस कुछ दिनों तक सेवन करने से खून साफ हो जाता है जिससे रक्तविकार (खूनी विकार), फोडे़-फुसियां व खाज-खुजली आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
मेथी (methi)खाने में गर्म होती है।
- हानिकारक:
जिनकी प्रकृति गर्म हो और शरीर के किसी भी अंग से खून गिरता हो, जैसे- खूनी बवासीर, नाक से खून का गिरना(नकसीर), पेशाब में खून आना, मासिक-धर्म में अधिक खून आना और कई दिनों तक आते रहना आदि रोग हो, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करना चाहिए। मेथी का प्रभाव गर्म होता है। अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करना अधिक लाभदायक है। मेथी अधिक मात्रा में खाने से पित्त बढ़ती है, इसलिए इसका सेवन मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए।