आंव रक्त ( पेचिस ), हड्डियाँ कमजोर होना, दर्द व सूजन और जलोदर ( पेट में पानी भरना ) में मैथीदाना से इलाज
- आंव रक्त (पेचिश)
- मैथी के दानों को पीसकर दही के साथ खाने से पेचिश के रोगी को आराम आता है।
- 3 ग्राम मैथी के दानों का चूर्ण बनाकर 100 ग्राम दही में मिलाकर खाने से पेचिश के रोगी को लाभ होता है।
- मैथी, राई, अजवायन और नमक को मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।
- 50 ग्राम दाना मैथी और 50 ग्राम सोंठ को पीसकर 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर रख लें। सुबह-शाम भोजन के आधे घंटे बाद 10-10 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से आंव का आना बंद हो जाता है और पेट में भोजन का पाचन ठीक होता है।
- मैथी के आटे को दही में मिलाकर सेवन करने से पेचिश मिटती है।
- हड्डी कमजोर होने पर
मैथी बीज का पाउडर 5 से 10 ग्राम बच्चों को 3 से 6 ग्राम गुड़ के साथ सुबह-शाम खिलाने से हडि्डयां मजबूत होती हैं।
- दर्द व सूजन
100 ग्राम दाना मैथी तवे पर इस तरह भूने कि आधी कच्ची व आधी सिंकी हुई रहे। फिर इसे पीस लें। इसमें 25 ग्राम यानी चौथाई भाग कालानमक मिलायें, इसको सुबह-शाम 2 चम्मच गर्म पानी से फंकी लें। इससे जोड़ों का दर्द, कमर-दर्द, घुटनों का दर्द तथा हर प्रकार के दर्द ठीक हो जाते हैं और गैस भी नहीं बनती है।
- जलोदर ( पेट में पानी भरना )
दाना मैथी (methi dana )की सब्जी खाने से या दाना मैथी का भिगोया हुआ पानी पीने से जलोदर (पेट में पानी का भरना) में लाभ होगा।
मेथी (methi)खाने में गर्म होती है।
- हानिकारक:
जिनकी प्रकृति गर्म हो और शरीर के किसी भी अंग से खून गिरता हो, जैसे- खूनी बवासीर, नाक से खून का गिरना(नकसीर), पेशाब में खून आना, मासिक-धर्म में अधिक खून आना और कई दिनों तक आते रहना आदि रोग हो, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करना चाहिए। मेथी का प्रभाव गर्म होता है। अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करना अधिक लाभदायक है। मेथी अधिक मात्रा में खाने से पित्त बढ़ती है, इसलिए इसका सेवन मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए।