गले में छाले, टाॅन्सिल में सूजन, एसीडिटि, यकृत सम्बन्धित रोग और आमाशय में घाव होने पर मैथीदाना से इलाज
- गले में छाले में हो जाने पर
1 किलो पानी में 2 चम्मच दाना मैथी डालकर हल्की आग पर अच्छी तरह उबलने पर पानी को छान लें, इस पानी से गरारे करने से गले के छाले दूर हो जाएंगें।
- टॉन्सिल्स में सूजन
टॉन्सिल्स में सूजन हो या वे पक गये हों तो वे भी ठीक हो जाते हैं। मसूड़ों में से खून आता हो तो खून निकलना बंद हो जाता है।
- अम्लपित्त ( एसिडिटि )
100 मिलीलीटर मेथी के पत्तों का रस और इतना ही पानी मिलाकर पीने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) में लाभ होता है।
- यकृत से सम्बंधित रोग
यकृत (जिगर) की कार्यक्षमता में वृद्धि करने के लिए सुबह नाश्ते में उबले हुए मैथी के बीजों को खाने से आराम मिलता है। यह अपच (भोजन का न पचना) को भी दूर करता है।
- आमाशय में घाव होने पर
2 चम्मच दाना मैथी को 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाये तो पानी को छानकर पियें तथा उबली हुई मैथी खायें। चाय की तरह गर्म-गर्म यह काढ़ा दिन में 3 बार, सुबह नाश्ते से आधा घंटे पहले, दोपहर में भोजन से आधा घण्टे पहले और रात में सोने से आधा घंटा पहले लेने से लाभ होता है। यदि पीने में कठिनाई हो तो इसमें थोड़ा गर्म दूध और देशी खांड़ मिलाकर चाय के रूप में भी लिया जा सकता है। 1 सप्ताह से लेकर 1 से 2 महीने तक इसका सेवन करने से लाभ मिलता है।
मेथी (methi)खाने में गर्म होती है।
- हानिकारक:
जिनकी प्रकृति गर्म हो और शरीर के किसी भी अंग से खून गिरता हो, जैसे- खूनी बवासीर, नाक से खून का गिरना(नकसीर), पेशाब में खून आना, मासिक-धर्म में अधिक खून आना और कई दिनों तक आते रहना आदि रोग हो, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करना चाहिए। मेथी का प्रभाव गर्म होता है। अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करना अधिक लाभदायक है। मेथी अधिक मात्रा में खाने से पित्त बढ़ती है, इसलिए इसका सेवन मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए।