बलगम, खाँसी, टोन्सिल और तेज बुखार में मैथीदाना से इलाज
- बलगम
10 ग्राम दाना मैथी, 15 ग्राम कालीमिर्च, 50 ग्राम शक्कर, 100 ग्राम की बादाम गिरी को पीसकर मिला लें। रोजाना गर्म दूध से रात को सोते समय 1 चम्मच फंकी लेने से खांसी, दमा में बलगम, जुकाम, साइनोसाइटिस और कब्ज सभी में लाभ होता है। इसका सेवन ठंडी प्रकृति वाले लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है।
- खांसी
2 कप पानी में 2 चम्मच दाना मैथी उबाल-छानकर, उसमें 4 चम्मच शहद मिलाकर पीने से बलगम वाली खांसी, सांस का रोग, छाती का भारीपन, दर्द, कफ (बलगम) का प्रकोप, दमा आदि में लाभ मिलता है। जिन्हें हमेशा जुकाम-खांसी बनी रहती हो, उन्हें तिल या सरसों के तेल में गर्म मसाला, अदरक और लहसुन डालकर बनाई मैथी की सब्जी का सेवन रोजाना करना चाहिए।
2 चम्मच मैथी को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इसे छानकर पीयें। इससे बुखार, उल्टी, कफ-खांसी, जुकाम, न्यूमोनिया और गले की खरास दूर होती है।
1 चम्मच मैथी के दानों को 1 कप पानी में उबालें। पानी जब आधा रह जाए तो उसे छानकर पीने से खांसी मे लाभ होता है।
- टॉन्सिल
1 गिलास पानी में 2 चम्मच दाना मैथी उबालकर व छानकर रोजाना सुबह और शाम गरारे करने से लाभ होता है।
- बुखार
ज्वर (बुखार) होने पर मैथी की हरी पत्तियों की सब्जी खायें तथा 4 दिन तक पिसी हुई, दरदरी दाना मैथी की 1-1 चम्मच फंकी पानी से 3 बार लें।
- तेज बुखार
बुखार जब तेज (102 डिग्री से अधिक) हो तो 3 चम्मच दाना मैथी 2 कप पानी में उबाल लें फिर पानी आधा रहने पर छानकर रोजाना 3 बार पियें। इससे तेज ज्वर (बुखार) ठीक हो जायेगा। मैथी की यह चाय ज्वर (बुखार) को कम कर देती है।
मेथी (methi)खाने में गर्म होती है।
- हानिकारक:
जिनकी प्रकृति गर्म हो और शरीर के किसी भी अंग से खून गिरता हो, जैसे- खूनी बवासीर, नाक से खून का गिरना(नकसीर), पेशाब में खून आना, मासिक-धर्म में अधिक खून आना और कई दिनों तक आते रहना आदि रोग हो, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करना चाहिए। मेथी का प्रभाव गर्म होता है। अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करना अधिक लाभदायक है। मेथी अधिक मात्रा में खाने से पित्त बढ़ती है, इसलिए इसका सेवन मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए।